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7 मर्डर, चश्मदीद गवाह, फिर कैसे रिहा हुआ बृजेश सिंह: केस डायरी-FIR गायब, 37 साल से पुलिस के पहरे में पीड़ित परिवार

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वाराणसीएक दिन पहलेलेखक: रवि श्रीवास्तव

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37 साल पहले UP के सिकरौरा गांव में रात के अंधेरे में 5-7 बदमाश ग्राम प्रधान रामचंद्र यादव के घर में घुसे। घुसते ही लोगों को काटने-गोली मारने लगे। कुल 7 लोगों के मर्डर किए, जिनमें 4 बच्चे थे। आगे चलकर माफिया और फिर MLC बने बृजेश सिंह इस केस में आरोपी थे। बृजेश सिंह को गोली लगी, मामले में चश्मदीद गवाह थे। फिर भी वो बरी हो गए। बरी होने की तारीख थी 20 नवंबर, 2023।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केस का फैसला सुनाते हुए 4 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। गवाहों के बयान मेल नहीं खा रहे थे, इसलिए बृजेश सिंह को बरी कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि FIR कराने वालीं ग्राम प्रधान की पत्नी हीरावती ने बृजेश काे नामजद नहीं किया था। उन्होंने बयान दिया था कि बृजेश का गांव में आना-जाना था। इसलिए वो उन्हें पहचानती थीं।

सिकरौरा में 7 लोगों की हत्या UP का सबसे बड़ा हत्याकांड था। अखबारों में इसे फ्रंट पेज पर जगह मिली थी। फोटो बनारस से शाम को निकलने वाले गांडीव अखबार की है।

10 अप्रैल, 1986 को सिकरौरा हत्याकांड से 20 नवंबर, 2023 को

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